Dhanteras 2025: Muhurat, Rituals, and Importance of the Festival
24 September 2025 | vedic-culture
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दिवाली की असली शुरुआत धनतेरस से होती है। और अगर आप सोच रहे हो Dhanteras 2025 कब है? तो ज़रा रुक जाओ क्योंकि इस बार तिथि है 18 अक्टूबर 2025, शनिवार।
धनतेरस सिर्फ ख़रीदारी या नया बर्तन खरीदने का दिन नहीं है, ये तो पूरे उत्सव के माहौल का भव्य आरम्भ है। इस ब्लॉग में समझते हैं कि Dhanteras 2025 क्यों खास है, कब है, क्या करना चाहिए और क्या खरीदना ज़रूरी है।
Dhanteras 2025 कब है?
साल 2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर, शनिवार को पड़ेगा। इस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहेगी। और इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त है शाम 7:15 से रात 8:19 तक (1 घंटा 04 मिनट)।
प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक चलता है। इस समय में लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में धन-समृद्धि आती है।
तो याद रख लो क्योंकि यही वो समय है जब माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि आपकी प्रार्थना को सुनने उपस्थित होते हैं।
चौघड़िया मुहूर्त की आवश्यकता नहीं
धनतेरस पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। चौघड़िया मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होता है, पूजा के लिए नहीं।
विवरण | जानकारी |
धनतेरस 2025 की तिथि | 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) |
तिथि का आरंभ (त्रयोदशी) | 18 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:18 बजे |
तिथि का समापन (त्रयोदशी) | 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:51 बजे |
पूजन का शुभ समय (प्रदोष काल) | 18 अक्टूबर 2025, शाम 07:16 बजे से 08:20 बजे तक |
पूजन देवता | भगवान धन्वन्तरि, माता लक्ष्मी एवं कुबेर |
विशेषता | अगले दिन दीपावली मनाई जाएगी। दुनिया भर में धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है। |
धनतेरस पूजा का शुभ समय शहर के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। सही मुहूर्त जानने के लिए अपने शहर का चयन करना आवश्यक है। शुभ समय में त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न तीनों का ध्यान रखा जाता है।
Dhanteras 2025 का महत्त्व
स्वास्थ्य और धन का संगम – धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। तभी से यह दिन केवल धन ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। अर्थात् स्वस्थ रहो और समृद्धि पाओ।
दीवाली का शुभारम्भ – दीवाली का वास्तविक प्रारम्भ इसी दिन से होता है। यही वह अवसर है जब दीप, सजावट, मिठाइयाँ और उत्सव का उल्लास प्रारम्भ होता है।
ख़रीदारी का महत्व – प्राचीन काल से यह मान्यता रही है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ घर में समृद्धि और शुभता लेकर आती हैं। अर्थात्, यह केवल ख़रीदारी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतोष का साधन भी है।
Dhanteras 2025 पूजा विधि
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में करना सबसे शुभ माना जाता है। नीचे दी गई विधि का पालन करके आप माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं:
1. घर की साफ-सफाई
- पूजा से पहले घर को अच्छी तरह साफ करें।
- दरवाज़े और पूजा स्थान को पानी और गंगाजल से शुद्ध करें।
- मुख्य द्वार पर रंगोली और दीपक सजाएँ।
2. पूजन स्थल की तैयारी
- पूजा के लिए चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ।
- उस पर माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- पास में कलश रखें, जिसमें पानी, सुपारी, चावल और आम के पत्ते रखें।
3. दीपक जलाना
- घर के मुख्य द्वार पर और पूजा स्थल पर दीपक जलाएँ।
- बाहर दक्षिण दिशा की ओर यमराज के लिए एक दीपक जलाना न भूलें (इसे यम दीपम कहते हैं)।
4. पूजा सामग्री
- रोली, चावल, हल्दी, सुपारी, कपूर, फल, मिठाई, फूल, अगरबत्ती और धूप रखें।
- चाँदी, सोना या नया बर्तन (यदि खरीदा हो) भी पूजा में रखें।
5. विधिपूर्वक पूजन
- सबसे पहले गणेश जी का आवाहन करके पूजा प्रारंभ करें।
- अब माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी को जल, फूल, अक्षत, रोली और मिठाई अर्पित करें।
- लक्ष्मी जी के मंत्रों का जप करें, जैसे: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” या “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”।
- धन्वंतरि भगवान की आराधना कर स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक समृद्धि की कामना करें।
- अंत में घर और व्यवसाय में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
6. खरीदारी का महत्व
- इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या धातु की कोई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है।
- यह घर में धन और सौभाग्य के स्थायी आगमन का प्रतीक है।
7. स्थिर लग्न का महत्व
- पूजा के समय स्थिर लग्न होना सबसे उत्तम माना गया है।
- मान्यता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से माता लक्ष्मी घर में स्थायी रूप से विराजती हैं।
- वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है, जो दीपावली के समय प्रायः प्रदोष काल के साथ मेल खाता है।
8. धनतेरस के अन्य नाम
- धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।
- यह दिन धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
- आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म दिवस इसी दिन माना जाता है।
यम दीपदान का महत्व
इस दिन यमराज (मृत्यु के देवता) को प्रसन्न करने के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है। इसे यम दीपम कहते हैं।मान्यता है कि यह दीपक परिवार के सदस्यों को असामयिक मृत्यु से बचाता है।
धनतेरस को मनाया जाता है
धनतेरस को मनाने के कई धार्मिक और पौराणिक कारण हैं। मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
1. माता लक्ष्मी की पूजा
धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी का प्रकट होना माना जाता है। इस दिन लोग माता लक्ष्मी की आराधना करके धन, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।
2. भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन
धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश और औषधियाँ लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए यह दिन स्वास्थ्य और आयुर्वेद के लिए भी विशेष माना जाता है।
3. धन और सौभाग्य का प्रतीक
इस दिन सोना, चाँदी, बर्तन या नई चीज़ें खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में धन-धान्य और सौभाग्य बढ़ता है।
4. यम दीपदान की परंपरा
धनतेरस की रात घर के बाहर दीपक जलाकर यमराज (मृत्यु के देवता) को प्रसन्न करने की परंपरा है। इसे यम दीपम कहा जाता है, जिससे परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
धनतेरस 2025 का पर्व धन, स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य का संदेश लेकर आता है। यह केवल खरीदारी या दीप जलाने का दिन नहीं है, बल्कि माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की कृपा प्राप्त करने का अवसर है। इस पावन दिन पर सच्चे मन से की गई आराधना न केवल आर्थिक उन्नति देती है, बल्कि परिवार में स्वास्थ्य, खुशहाली और दीर्घायु का भी आशीर्वाद प्रदान करती है।
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FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: धनतेरस 2025 कब मनाई जाएगी?
2025 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाई जाएगी।
Q2: धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
शाम 7:15 बजे से 8:19 बजे तक प्रदोष काल में पूजा सबसे शुभ है।
Q3: धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
सोना, चाँदी, बर्तन या धातु की वस्तुएँ खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
Q4: धनतेरस पर किसकी पूजा की जाती है?
इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा की जाती है।
Q5: धनतेरस को और किस नाम से जाना जाता है?
धनतेरस को धनत्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
By Manjeet Kumar
Vedic Meet Content Team
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