घर में पॉजिटिव एनर्जी चाहिए? अपनाएं puja room as per vastu टिप्स!
7 May 2025 | vastu
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भारत अपने इतिहास, संस्कृति और विज्ञान के बारे में जाना जाता है। इसके अलावा हम ज्योतिष शास्त्र , अंक शास्त्र , वास्तु शास्त्र जैसे अनेक विषयों के जन्मदाता भी कहलाते हैं। एक महत्वपूर्ण विषय है वास्तु शास्त्र। इसमें घर की दिशा , ज़मीन , रंग , अकार के बारे में बताते है , और यह हमारे जीवन को प्रभावित भी करते हैं। और सबसे बड़ी दुविदा होती है की पूजा घर कहाँ पर हो ? तो आइए इस ब्लॉग से जानते हैं puja room as per vastu के दिशा और महत्व के बारे में।
क्या महत्व है पूजा घर का वास्तु के अनुसार ?
पूजा घर अक्सर खासकर महिलाओं की पहली पसंद होती है। और यह जगह ऐसा होता है जहाँ पर आप सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। इसलिए अगर पूजा कक्ष का निर्माण और व्यवस्था puja room as per vastu के अनुसार की जाए, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
पूजा घर के लिए वास्तु के 6 जरूरी टिप्स जो आपको अपनाना चाहिए।
पूजा कक्ष की जगह (Location of Puja Room)
वास्तु शास्त्र के अनुसार , पूजा घर किस दिशा में है , यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। आइये जानते है वास्तु क्या कहता है , पूजा पूजा कक्ष की जगह के बारे में।
- उत्तर-पूर्व दिशा ( North-east direction) उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) , को पूजा घर का सबसे शुभ दिशा माना गया है।
- (ईशान कोण) को पूजा कक्ष के लिए सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि यह दिशा भगवान शिव से जुड़ी होती है और इसे सबसे शुभ दिशा कहा गया है।
- यदि उत्तर-पूर्व दिशा संभव न हो, तो पूर्व या उत्तर दिशा भी उपयुक्त होती है।
- दक्षिण दिशा में पूजा कक्ष नहीं बनाना चाहिए, यह अशुभ माना जाता है।
- शौचालय या सीढ़ियों के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।
- पूजा कक्ष भूतल या अत्यधिक ऊंचाई पर न बनाएं।
- पूजा कक्ष के दरवाजे और खिड़कियाँ उत्तर या पूर्व की ओर होनी चाहिए।
- छत का आकार पिरामिड जैसा होना सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
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. मूर्तियों की स्थापना (Placement of Deities)
पूजा के कमरे में मूर्तियां बहुत जरूरी होती है और उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है मूर्तियों का वास्तु। आइये देखते है वास्तु शास्त्र क्या कहता है इनके बारे में।
- उत्तर-पूर्व दिशा (North East Direction) में हमेशा मूर्तियां रखनी चाहिए।
- सभी मूर्तियां का चेहरा दरवाज़े पर कभी नहीं होना चाहिए। कोशिश करे सभी मूर्तियों का मुख एक ही दिशा में होना चाहिए।
- मूर्तियाँ दीवार से थोड़ी दूरी पर रखें ताकि उनके चारों ओर वायु का प्रवाह बना रहे।
- मूर्तियों को ज़मीन से कम से कम 6 इंच ऊपर रखें।
- टूटी या खंडित मूर्तियों को पूजा कक्ष से तुरंत हटा देना चाहिए।
- पूजा कक्ष में मृतकों की तस्वीरें या युद्ध व हिंसा से जुड़ी तस्वीरें न लगाएं।
पवित्र वस्तुओं और दीपक का स्थान (Sacred Items and Lamp Placement)
अब पूजा घर में क्या रखे और क्या न रखें , यह भी जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पवित्र वस्तुओं और दीपक का स्थान भी जरूरी है।
- पूजा घर में vastu tips के अनुसार ,पूजा घर में कभी भी अन्य वस्तुओं का रखने के लिए उपयोग मत करे।
- हमेशा पवित्र वस्तुएँ जैसे कलश, शंख, घंटी आदि साफ-सुथरे तरीके से सजाएं
- दीपक और अग्निकुंड को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें क्योंकि यह अग्नि तत्व से जुड़ी दिशा है।
- मूर्तियों के ऊपर कभी कोई वस्तु न रखें।
अलमारियों और भंडारण का स्थान (Cupboards in Puja Room)
- पूजा घर में अलमारियाँ या स्टोरेज दक्षिण-पूर्व (South east )दिशा में होनी चाहिए।
- पूजा सामग्री जैसे अगरबत्ती, दीपक, घी आदि को सजाकर रखें।
- मूर्तियों के ऊपर अलमारियाँ बनवाने से बचें।
- यदि संभव हो तो पिरामिड आकार की अलमारी बनवाएं, यह सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है।
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पूजा कक्ष का रंग (Ideal Colors for Puja Room)
- पूजा कक्ष का रंग भी puja room as per vastu में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- हल्के और शांत रंग जैसे क्रीम, सफेद, हल्का नीला या हल्का पीला चुनें।
- उत्तर-पूर्व दिशा में बने पूजा कक्ष के लिए सफेद रंग सबसे अच्छा माना गया है।
- गहरे या चमकदार रंग जैसे काला, गहरा लाल या भूरा रंग पूजा कक्ष में न लगाएं।
प्रकाश व्यवस्था (Lighting in Puja Room)
- पूजा कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश का होना आवश्यक है।
- दिन के समय सूर्य की किरणें पूजा कक्ष में प्रवेश करें, इसके लिए एक खिड़की होना ज़रूरी है।
- सूर्यास्त के बाद भी पूजा कक्ष में पर्याप्त प्रकाश बना रहना चाहिए।
- एक स्थायी दीपक या इलेक्ट्रिक लाइट रखें ताकि कमरे में उजाला बना रहे।
क्या करें अगर पूजा घर गलत दिशा में है :
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर सबसे पवित्र और ऊर्जावान जगह होती है। पर कभी क-कभी स्थान की कमी या अनजाने में पूजा घर गलत दिशा मे बन जाने से मुश्किल होती है। पर चिंता की बात नहीं है , क्यूंकि कुछ आसान
वास्तु उपायों से इस दोष को ठीक किया जा सकता है।
यदि पूजा कक्ष गलत दिशा में हो तो करें ये सामान्य उपाय:
- उत्तर-पूर्व कोने में वास्तु पिरामिड स्थापित करें
- पूर्वी दीवार पर तांबे की पट्टियाँ लगाएं
- मंदिर के नीचे पीतल की वास्तु प्लेट रखें
- मूर्तियाँ कभी आमने-सामने न रखें
दिशा अनुसार विशेष उपाय:
- यदि मंदिर दक्षिण दिशा में हो:
- सामने की दीवार पर दर्पण लगाएं
- पीले रंग की चटाई या कालीन बिछाएं
- पीतल या तांबे के सामान का प्रयोग करें
यदि मंदिर दक्षिण-पश्चिम में हो:
- क्रिस्टल पिरामिड रखें
- सफेद या पीले पर्दे लगाएं
- पीतल की घंटियाँ टांगें
यदि मंदिर दक्षिण-पूर्व दिशा में हो:
- तांबे का यंत्र रखें
- चांदी के पूजन सामग्री का उपयोग करें
- उपयुक्त और संतुलित प्रकाश व्यवस्था करें
पूजा कक्ष का आदर्श आकार (वास्तु के अनुसार):
- समर्पित पूजा कक्ष: कम से कम 5×7 फीट
- दीवार पर लगे मंदिर यूनिट के लिए: 3×3 फीट
- ऊँचाई: 5-7 फीट
- अधिकतम आकार: 9×9 फीट से बड़ा न हो
- छत की ऊंचाई कमरे की चौड़ाई के अनुपात में होनी चाहिए
प्रार्थना की दिशा:
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके प्रार्थना करें
- यदि संभव न हो, तो पश्चिम दिशा की ओर भी बैठ सकते हैं
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके प्रार्थना करने से बचें, यह अशुभ माना जाता है
पूजा कक्ष का महत्व
पूजा कक्ष केवल एक स्थान नहीं है, यह आपके घर की आत्मा होता है। यह वह कोना होता है जहाँ आप अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं, अपने ईश्वर से जुड़ते हैं और मानसिक शांति प्राप्त करते हैं। यदि puja room as per vastu के अनुसार बनाया जाए तो यह नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर आपके जीवन में सकारात्मकता, सुख, धन और शांति ला सकता है।
FAQs
प्रश्न 1: puja room as per vastu के अनुसार पूजा कक्ष का सबसे शुभ दिशा कौन-सी होती है?
उत्तर: puja room as per vastu के अनुसार पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। यह दिशा आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए सर्वोत्तम होती है।
प्रश्न 2: क्या puja room as per vastu के अनुसार रसोई या बाथरूम के पास पूजा घर बनाना उचित है?
उत्तर: puja room as per vastu के अनुसार पूजा कक्ष को बाथरूम, टॉयलेट या किचन के पास नहीं बनाना चाहिए। इससे मानसिक शांति में बाधा आती है और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 3: पूजा घर में मूर्तियों का आकार और संख्या क्या होनी चाहिए?
उत्तर: पूजा घर में मूर्तियाँ अधिक बड़ी नहीं होनी चाहिए — 9 इंच से कम आकार की मूर्तियाँ उपयुक्त होती हैं। और एक ही देवी-देवता की एक से अधिक मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए।
प्रश्न 4: क्या बेडरूम में पूजा घर बनाना वास्तु के अनुसार सही है?
उत्तर: वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर में कोई अन्य स्थान उपलब्ध न हो, तो आप बेडरूम में उत्तर-पूर्व दिशा में छोटा-सा पूजा घर बना सकते हैं, लेकिन बिस्तर के सामने नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 5: क्या पूजा घर को लकड़ी के मंदिर में बनाना अच्छा माना जाता है?
उत्तर:हाँ, वास्तु के अनुसार लकड़ी के मंदिर को शुभ माना जाता है। यह प्राकृतिक तत्वों से जुड़ा होता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
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