Shivratri 2025 क्यों मनाई जाती है, महाशिवरात्रि की कहानी और महत्व
24 January 2025 | vedic-culture
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Shivratri 2025 आखिर कब है : महाशिवरात्रि, यानि शिव जी के बारात प्रस्थान की रात। यह पर्व हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। आज के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती एक हुए थे , यानि विवाह हुआ था। आज के दिन जो भी व्यक्ति, यानि 25 february , को महाशिवरात्रि का उपवास और विधिपूर्वक पूजा करता है , उसकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। तो आइये जानते है महाशिवरात्रि के बारे में और क्या है कहानी।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
Why Mahashivratri is Celebrated, यानी इसे कब मनाया जाता है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का पावन दिन है। Shivratri 2025 के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित कर पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्रत और रात्रि जागरण करने से मोक्ष और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
महाशिवरात्रि की पौराणिक कहानी
महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कहानियां हैं जो इसके महत्व को दर्शाती हैं।
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- समुद्र मंथन की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें से अमृत के साथ विष भी निकला। यह विष इतना ज़हरीला था कि इससे सृष्टि के विनाश का खतरा था। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के इस बलिदान को याद किया जाता है।
- शिव-पार्वती विवाह की कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और उनसे विवाह किया। इस दिन को उनके विवाह दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- शिवलिंग को प्रकट करना :
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एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु को अपनी महिमा दिखाने के लिए ज्योतिर्लिंग का प्रकट किया। यह अनंत ज्योति का प्रतीक है, जो सृष्टि के आदि और अंत को दर्शाता है और यह शिव की असीम शक्ति और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत और पूजा विधि
महाशिवरात्रि पर भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
उपवास का महत्व
महाशिवरात्रि पर उपवास रखना भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। यह व्रत आत्म-नियंत्रण और भक्तिभाव को बढ़ावा देता है। उपवास के दौरान भक्त फलाहार करते हैं और रात भर जागकर भगवान शिव का ध्यान करते हैं।
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाएं।
- भगवान शिव के मंत्र “२ऎम नमः शिवाय” का जाप करें।
- शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करें।
- रात्रि में जागरण और भगवान शिव की आरती करें।
महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि का मुख्य उद्देश्य आत्मा और परमात्मा का मिलन है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से भक्तों को अद्भुत मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- जीवन में सकारात्मक ऊर्जा
इस दिन भगवान शिव का ध्यान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का वास होता है।
- संपूर्ण सृष्टि के कल्याण का दिन
महाशिवरात्रि पर की गई पूजा सिर्फ व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं होती, बल्कि यह समस्त सृष्टि के कल्याण के लिए भी की जाती है।
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महाशिवरात्रि 2025 की तारीख और मुहूर्त
महाशिवरात्रि 2025 (Shivratri 2025) का पर्व 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन का मुहूर्त निम्न प्रकार है:
- निशीथ काल पूजा का समय: रात 12:00 बजे से 12:45 बजे तक
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 26 फरवरी 2025 को सुबह 6:16 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 27 फरवरी 2025 को सुबह 7:04 बजे
Shivratri 2025 सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक विशेष अवसर है। यह दिन आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। महाशिवरात्रि की पूजा विधि, व्रत और भगवान शिव की कथाओं का अध्ययन भक्तों के जीवन में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। इस दिन हम सभी को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरी श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करनी चाहिए।
F.A.Qs
Q1 2025 में शिवरात्रि किस तिथि को है?
Ans. 2025 में महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाएगी। यह फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है।
Q2 शिवरात्रि क्यों होती है?
Ans. शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा का विशेष अवसर है। इस दिन शिवजी और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक भी है, जो धार्मिक महत्व रखता है।
Q3 शिवरात्रि के 4 प्रकार क्या हैं?
Ans.
- महाशिवरात्रि - फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी
- द्वितीय शिवरात्रि - आषाढ़ मास की कृष्ण चतुर्दशी
- चतुर्थ शिवरात्रि - माघ मास की कृष्ण चतुर्दशी
- पद्म शिवरात्रि - माघ माह की शुक्ल पक्ष
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